Jain Samaj: दीपावली पूजन विधि

Diwali Special 2022

सामग्री – अष्ट द्रव्य थाली, दीपक, मंगल कलश, सरसों, लाल कपड़ा, मौली, श्रीफल, अगरबत्ती, जिनवाणी, चौकी, पाटा २, कुमकुम, केशर घिसी हुई, कोरा पान १०, कमल, फूल मालायें, नई बाहियाँ कलम दवात, मीठा, दूर्वा, हल्दी।
विधि – सायंकाल को उत्तम गौ-धूलि बेला में अपनी दुकान या मकान के पवित्र स्थान में पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुँह करके पूजा प्रारंभ करें। एक पाटे पर चावलों से स्वास्तिक बनाकर उस पर एक जिनवाणी, दाहिनी ओर घी का दीपक, बाई ओर धूपदान, मध्य में मंगल कलश रखना चाहिये। एक पाटे पर अष्ट द्रव्य थाली और दूसरे पाटे पर खाली थाली में स्वास्तिक बनाकर द्रव्य चढ़ाने को रख लेना चाहिए। पूजा गृहस्थाचार्य या कुटुम्ब के मुखिया द्वारा की जानी चाहिए।
पूजा प्रारंभ
मंगलम् भगवान वीरो मंगलम गौतमो गणी।
मंगलम् पुष्पदंताद्यौ जैन धर्मोस्तु मंगलम्।।
यह मंत्र पढ़कर पूजन में बैठे हुए सभी सज्जन केशर का तिलक करें।
मंत्र – ॐ नमो अर्हते रक्ष-रक्ष हूं फट् स्वाहा।
यह मंत्र पढ़कर सभी को दाहिने हाथ में मौली बाँध दे।
निम्न मंत्र पढ़कर सभी लोग अपने ऊपर थोड़ा सा जल छिड़क लें।
मंत्र – ॐ ह्नीं अमृतोद्भवे अमृतंवर्षिणी, अमृतं।
सा्रवय सा्रवय सं सं क्लीं क्लीं ब्लूं ब्लूं द्रां द्रां द्रीं द्रीं
द्रावय द्रावय हं सं क्ष्वीं हं सः स्वाहा।
इसके बाद मंगलाष्टक पढ़ते हुए पुष्प छिड़तचे जायें।
अर्हन्तों भगवन्त इंद्र महिताः सिद्धाश्च सिद्धीश्वराः,
आचार्या जिन शासनोन्नतिकराः पूज्यः उपाध्यायकाः।
श्री सिद्धानंत सुपाठकाः मुनिवराः रत्नत्रयाराधकाः,
पच्चैते परमेष्ठिताः प्रतिदिनं कुर्वन्तु ते मंगलं।।
मंगल कलश स्थापना यंत्र
– शुद्ध जल से सर्वप्रथम स्वयं को, हाथों को शुद्ध करें – ॐ ह्नीं असुजर सुजर भव स्वाहा।
-तत्पश्चात जल से भूमि शुद्धि करें – ॐ ह्नंी भूः शुद्धयतु स्वाहा।
– सकलीकरण करें –
-शुद्ध जल से सर्वप्रथम स्वयं को, हाथों को शुद्ध करें – ॐ ह्नीं असुजर सुजर भव स्वाहा।
– तत्पश्चात जल से भूमि शुद्धि करें – ॐ ह्नीं भूः शुद्धयतु स्वाहा
-सकलीकरण करें –
– ॐ ह्नीं णमो अरिहंताणं मम शीर्ष रक्ष-रक्ष ह्नूं फट् स्वाहा।
-ॐ ह्नीं णमो सिद्धाणं मम मस्तक रक्ष-रक्ष ह्नूं फट् स्वाहा।
– ॐ ह्नीं णमो आइरियाणं मम हृदय रक्ष-रक्ष ह्नूं फट् स्वाहा।
– ॐ ह्नीं णमो उवज्ज्ञायाणं मम नाभि प्रदेश रक्ष-रक्ष ह्रं फट् स्वाहा।
-ॐ ह्नीं णमो लोए सव्वसाहूणं मम पादौ रक्ष-रक्ष ह्रं फट् स्वाहा।
-ॐ ह्नीं णमो अर्हते सर्व रक्ष-रक्ष ह्रं फट् स्वाहा।
– अक्षत चावल लेकर जमीन पर (जहाँ पर कलश स्थापित करना हो वहाँ) स्वास्तिक बनावें।
– ॐ ह्नीं परम ब्रह्मणे नमो नमः स्वस्ति – २, जीव – २, नन्द – २, वृर्दस्व – २, विजयस्व – २, अनुशाधि -२, पुनीहि – २, मांगल्यं मांगल्यं पुष्पांजलिः।
– ॐ ह्नां ह्नीं ह्रैं ह्रौं ह्रः नमो अर्हते श्रीमते पवित्रकृत्र जलेन मंगल कलश स्थापित करोमि स्वाहा – यह मंत्र पढ़कर कलश स्थापित करे।
-ॐ ह्रीं औं क्रौं अत्र स्थाने विराजित क्षेत्रपाल देवाय आगच्छ-२, तिष्ठ-२, ठः ठः ठः स्थापना इदं अर्घ समर्पयामि (नैवेद्य पुष्प आदि अर्घ चढ़ाये।
– ॐ ह्रीं आं क्रौं अत्र स्थाने सर्व वास्तु देवाय आगच्छ-२ तिष्ठ -२, ठः ठः ठः स्थापना इंद अर्ध समर्पयामि (अर्घ समर्पण करें)
-ॐ ह्रीं औं क्रौं वायु कुमार अत्र स्थाने वायु शुद्धि करुः करु ह्रूं फट् स्वाहा (हाथों से हवा करें) (अर्घ समर्पयामि)
– ॐ ह्रीं आं क्रौं मेघ कुमार देवाय अत्र स्थाने शुद्धि करु अं हं सं वं क्षं ठं क्षः फट् स्वाहा (अर्घ समर्पयामि)
– ॐ ह्रीं आं क्रौं अगिन् कुमार देव भूमि ज्वलाय २ फट् स्वाहा (कपूर जलावे)
– ॐ ह्रीं आं क्रौं षष्टि सहस्त्र संख्येभयो जलांजलि स्वाहा (जलं समर्पयामि)
– ॐ ह्रीं औं क्रौं इंद्र अग्नि यम नैऋत्य, वरुण, पवन, कुबेर, ईशान, धरणेन्द्र, सोम, दिग्पाल देव आगच्छ – २, तिष्ठ – २, ठः ठः ठः स्वाहा अर्घ समर्पयामि।
प्र् ॐ ह्रीं आं क्रौं पंचदश तिथि देवता आगच्छ-२, तिष्ठ-२, ठः ठः ठः स्वाहा अर्घ समर्ययामि।
प्र् ॐ ह्रीं औं क्रौं आदित्य चंद्र-मंगल-बुध-गुरु-शुक्र-शनि-राहु-केतु आगच्छ-२, तिष्ठ ठः ठः स्वाहा (अर्घ समर्पयामि)
प्र् ॐ ह्रीं नमोर्हभ्यो पंचपरमेष्ठिभ्य नमः (अर्घ समर्पयामि)
प्र् ॐ ह्रीं श्री वृषभादि वीरन्त चतुर्विशति तीर्थकरेभ्यों नमः (अर्घ समर्पयामि)
प्र् ॐ ह्रीं मम कुल गुरवे नमः (अर्घ समर्पयामि)
प्र् ॐ ह्रीं आं क्रौं गौमुखादि २८ यक्ष देवता अर्घ समर्पयामि।
प्र् ॐ ह्रीं औं क्रौं चक्रेश्वरी ज्वालामामिलनी पद्मावती आदि देवीभ्यों नमः।
प्र् ॐ ह्रीं श्री ह्रीं धृति कीर्ति बुद्धि शांति पुष्टि लक्ष्मी देवीभ्यों नमः

दीपक स्थापना मंत्र
रुचिर दीप्ति करं शुभं दीपकं सकल लोक सुखाकरमुज्जवलं तिमिर व्यप्ति हरं प्रकरं सदाननु दधामि सुमंगलकं मुद्रा ॐ अज्ञान तिमिरं हरं दीपक प्रज्वलामि करोमि स्वाहा।
पूजा प्रारंभ
ॐ जय जय नमोस्तु नमोत्सु नमोत्सु।
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं।
णमो उवज्झायणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।
ॐ ह्रीं आनादि मूल मंत्रेभ्यों नमः (पुष्पांजलिं क्षिपामि)।
चत्तारि मंगलं, अरिहंता मंगलं, सिद्धा मंगलं,
साहू मंगलं, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलं।
चत्तारि लोगुत्तमा, अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा,
साहू लोगत्तमा, केवलि पण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा।
चत्तारि सरणं पव्वज्जामि, अरिहंते सरणं पव्वज्जामि।
केवलि पण्णत्तं धम्यं सरणं पव्वज्जमि।
ॐ नमो अर्हते स्वाहा (पुष्पांजलि क्षिपामि)
हदेव शास्त्र गुरु का अर्घ हविद्यमान बीस तीर्थंकर अर्घ हश्री चौबीसी अर्घ हश्री पद्म प्रभु अर्घ हश्री महावीर स्वामी का अर्घ हश्री जिनवाणी अर्घ हगौतम स्वामी का अर्घ
इसके बाद बहियोंपर सांथिया बनायें, जैसा नीचे बना है। और श्री को वर्तुलाकार लिखे।
नई बही के पहिले पेज पर सबसे ऊपर लिखें
श्री ऋषभाय नमः, श्री महावीराय नमः, श्री गौतमगणधराय नमः, श्री केवलज्ञान सरस्वत्यै नमः, श्री लक्ष्म्यै नमः श्री वर्द्धताम् लिखें फिर नीचे श्री का पर्वताकार लेखन करें। बगियों के ऊपर मीठा, पान, हल्दी आदि सामान रख दें। पश्चात श्री वर्धमानाय नमः मम सर्व सिद्धिर्भवतु, काम मंगल्योत्सवाः संतु पुण्य वर्धताम् धनं वर्धताम् पढ़कर ही बही खातों पर अर्घ चढ़ावें। इसके बाद मंदल कलश वाली चौकी पर रुपयों की थैली को रखकर उसमें श्री लीलायतनं महीकुल ग्रहां कीर्ति प्रमोदास्पदं वाग्देवीरति केतनम जय रमा क्रीडाविधान महत। सः स्वयात्सर्वमहोत्सवैक भवनं यः प्रर्थितार्थ पदं प्राप्त पश्यति कल्पपादललच्छायाँ जिनादिघ्रयम् श्लोक पढ़कर सांथिया बनावें। पश्चात लक्ष्मी पूजन करें और लक्ष्मी स्त्रोत, पुण्यहवाचन शांतिपाठ विसर्जन करें।
इस यंत्र को लक्ष्मी पूजन के दिन अपने बही खाते पर रखें। हल्दी केशर या चंदन से तथा निम्न मंत्र की एक माला अवश्य जपें।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं अर्हम् नमः।

 

इस यंत्र को दीपावली के दिन केशर या सिंदूर से दुकान पर दाँये हाथ की अनामिका अंगुली से बही पर लिखे।

इसको दीपावली के दिन दुकान के अंदर दीवार पर सामने लिखे, मंडल स्थापना के दाहिने ओर। (दोनों यंत्रों की अष्ट द्रव्यों से पूजा करें।)
लक्ष्मी प्राप्ति का अद्भुत मंत्र
ओम ह्रीं श्रीं क्लीं – ठै ओमघंटा कर्म महावीर लक्ष्मी पुरय पुरय सुख सौभाग्यं कुरु कुरु स्वाहा।।
विधि- धनतेरस ४०, चौदस ४२, पंद्रस को ४३ माला लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन पर बैठकर लाल माला के जपें।
मुख पूर्व या उत्तर की ओर रखें। एक कलश विराजमान करें, साथ में तीर्थंकर की फोटो रखें। दीपक जलायें तथा संयम पूर्वक माला फेरें। (यदि उपरोक्त मंत्र की माला न जप सकें तो णमोकार मंत्र जपें।।)

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