भोपाल के महावीर मेडिकल कॉलेज की मान्यता हुई रद्द ?

 जैन समाज को 90 करोड़ रुपए का नुकसान!!

भोपाल ! कहा जाता है कि जैन समाज में शिक्षा का बहुत महत्व है। या कहे मा॑ सरस्वती व मां लक्ष्मीजी का जैन समाज को ही वरदहस्त प्राप्त है। मगर आज देखा जाए तो जैन समाज की कोई भी संस्था हो वहां के पदाधिकारी सिर्फ अपने नाम, पद-प्रतिष्ठा की महत्वाकांक्षा के चलते अब अनेकों अपने हित जुड़े नियम के विरुद्ध कार्य करने में अपनी साख व पेठ  समझते हैं। जिससे उन्हें अब किसी बात का डर नहीं रहता है‌। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भोपाल स्थित महावीर मेडिकल कॉलेज है, जहां की दुर्दशा ऐसी हो गई की स्वयं महावीर मेडिकल कॉलेज भोपाल

चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा एम.बी.बी.एस और बी.डी.एस कोर्स में प्रवेश के लिए राज्य स्तरीय सयुंक्त काउंसलिंग नीट यूजी-2022 आयोजित की जा रही है। अब तक नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) से अप्रूवल नहीं मिलने के कारण काउंसलिंग के फर्स्ट राउंड से ही प्राइवेट मेडिकल कॉलेज बाहर हो गए हैं। इनमें भोपाल का महावीर मेडिकल कॉलेज भी रहा है

जहां पर लगभग 150 सीट पर शिक्षा विभाग द्वारा अंकुश लगा दिया गया। इस सब के बावजूद भी जिम्मेदार व्यक्तित्व अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आ रहे हैं!!

परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की मंगल प्रेरणा एव समाज के अन्य सभी साधु सन्तों के आशीर्वाद से भोपाल में स्थापित जैन समाज की चिकित्सा धरोहर महावीर मेडिकल कॉलेज (मिम्स) की मान्यता आखिर रद्द हो ही गई।

मान्यता रद्द होने से जहाँ एक ओर संस्थान की छवि धूमिल हुई वहीं समाज को लगभग 90 करोड़ रु से अधिक का नुकसान हुआ है।

विगत वर्ष में अनेकों बार संस्था के वर्तमान प्रबन्धन पदाधिकारियों द्वारा  फर्जी डॉक्टरों एव मरीजों की भर्ती की खबर  समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी।

दिल्ली से आई राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की टीम, जो कि देश भर के अस्पतालों को मान्यता प्रदान करती है, जब महावीर मेडिकल अस्पताल पहुंची, वहां के नियमित निरीक्षण के दौरान न तो पर्याप्त सुविधाए मिलीं और न ही पर्याप्त भर्ती मरीज मिले।

यहाँ तक कि दिल्ली से आई NMC टीम के दौरे के दौरान अस्पताल के जिम्मेदार पदाधिकारी अपनी जबाबदारी से बच कर गायब हो गए।

जिस पर NMC की टीम ने प्रबन्धन को जबरदस्त लताड़ लगाते हुए कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी।

मान्यता रद्द होने से वर्तमान छात्रों का भविष्य दांव पर है,

इसके लिए समाज के गणमान्य समाजसेवी कहलाने वाले संस्था के दोषी पदाधिकारी आपस मे एक दूसरे पर आरोप – प्रत्यारोप लगा रहे है।

करोड़ो के कर्जे में डूबे इस संस्थान को आर्थिक सहयोग देने वाले  लोग भी वर्तमान प्रबन्धन को जमकर फटकार लगा रहे है । लेकिन प्रबन्धन के कानों में जूं तक नही रेंगी । अब जागने से क्या होगा ।

पहले समाज सो रहा था । पदाधिकारीगण ने अपना काम कर लिया

वर्तमान प्रबन्धन के अड़ियल रवैये के कारण अब देखना है बैंक में गिरवी रखे इस संस्थान को बैंक कब कुर्की का नोटिस भेजता है  या पदाधिकारी  अपनी साख को बचाने के लिए अब समझौता करेगे ?

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