चलो गन्नौर 4 दिसंबर गुरुदेव का 66 वाऺ अवतरण दिवस, पिच्छिका परिवर्तन समारोह
इंदौर ! ( देवपुरी वंदना ) पौराणिक परंपरा, संस्कार संस्कृति, के रक्षार्थ हमारे चलते-फिरते तीर्थ श्रमण संस्कृति के उन्नायक अतिशय क्षेत्र गुप्ति धाम गन्नौर हरियाणा के प्रणेता राष्ट्रसंत, महायोगी उपाध्याय श्री 108 गुप्ति सागर जी गुरुदेव का 66 वाऺ ” अवतरण दिवस ” आगामी रविवार 4 दिसंबर 2022 को दोपहर 1:00 बजे गुप्ति धाम गन्नौर में आपकी गरिमामई उपस्थिति के बीच हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है साथ ही चातुर्मास कलश निण्ठापन, श्रमण उपकरण पिच्छिका परिवर्तन समारोह का भव्य आयोजन होने जा रहा है । आयोजन समिति श्री जैन तीर्थ गुप्ति धाम ट्रस्ट गन्नौर के सभी साथियों ने आप सभी को प्रसन्नता के साथ नए जोश ऊर्जा से भरे इस अविस्मरणीय भक्ति भाव से भरे आयोजन में आप सभी को आमंत्रित कर रहे हैं विस्तृत जानकारी के लिए आप निम्न मोबाइल नंबर पर
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-: जीवन परिचय :- राष्ट्रसंत , महायोगी,
उपाध्याय श्री 108 गुप्तिसागर जी गुरुदेव
पूर्व नाम :-
श्री नवीन कुमार जैन
जन्मतिथि :-
4 दिसम्बर 1957, गढ़ाकोटा, सागर (म.प्र.)
ब्रह्मचर्य व्रत :-
29 मार्च 1978, अतिशय क्षेत्र पटैरिया जी ऐलक दीक्षा मुनि दीक्षा
10 जनवरी 1980, सिद्ध क्षेत्र नैनागिरी मध्य प्रदेश
20 अगस्त 1982, सिद्ध क्षेत्र नैनागिरी मध्य प्रदेश
संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर गुरूदेव
दीक्षा गुरु उपाध्याय पद 17 फरवरी 1991, अतिशय क्षेत्र गोम्मटगिरी
अभिवंदना देश के सबसे पहले संत जिनका 8 जून 1998
हिमाचल प्रदेश की विधानसभा शिमला में
प्रवचन – जून 1998 हिमाचल प्रदेश राजभवन में
महिमापूर्ण संबोधन – सितम्बर 1998 पंजाब के राजभवन में आतंकवाद से निजात पाने परिचर्चा माघ कृष्ण चतुर्दशी जनवरी 1999 को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में राष्ट्रसंत की उपाधि से विभूषित
अक्टूबर 2003 उत्तराखण्ड राजभवन में ऐतिहासिक सम्मान एवं गरीबी उन्मूलन पर विशेष संदेश 16 अक्टूबर 2005 श्री हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से ‘डी.लिट’ की मानक उपाधि 12 मई 2006 दिल्ली विधानसभा में ऐतिहासीक मार्गदर्शन उद्बोधन 27 जनवरी 2008 विश्व की सर्वोच्च 84 फुट उत्तुंग भगवान श्री 1008 आदिनाथ जी बावनगजा की मूर्ति का अंर्तराष्ट्रीय महामस्तकाभिषेक का सफलतम आयोजन 13 नवम्बर 2014 को दुनिया का सबसे बड़ा निःशुल्क डेन्टल चेक-अप महा-अभियान गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज ।
तीर्थ प्रणेता
नागर शैली की श्रृंखला में उत्कृष्टता का कीर्तिमान स्थापित करने वाले स्थापत्य शिल्प कला का अद्भुत उदाहरण, जैन प्रतिमा विज्ञान का जीवन्त गुप्तिधाम तीर्थ क्षेत्र का निर्माण गौर, सोनीपत (हरियाणा)।
साहित्य सृजन
किसने मेरे ख्याल में दीपक जला दिया, महावीर समय के हस्ताक्षर, मैं अकेला ही चलूँगा मंजिलों तक, व्यसनो के पार, मंगलाचरण, सफलता के दस कदम, अनुभव की आँखे, शिवशाला, दहेज-न सहेज खुली किताब लौट आ निःस्वार्थ की निश्रा मे, बिम्बप्रतिविम्ब संजीवनीशतक, वीरोदय- शतक, ऐतिहासिक हस्ताक्षर, जिन्दगी तेरे जज्बे को नमन…, 365 अच्छे काम, हर रोज एक अच्छा
काम), पर्युषण: मन की आँखे खोले, आदि कई दर्जन कृतियाँ । मयंकलेहा चरिउ (अपभ्रंश से हिन्दी) ।
देवपुरी वंदना समाचार परिवार गुरुदेव के चरणों में त्रिवार नमोस्तु के साथ अवतरण दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।