अभी तक 8,501अंतिम संस्कार में अपनी सहभागिता दे चुके हैं- रांची के पदम जैन

छत्तीसगढ़ ! अंतिम संस्कार एक शव के अंतिम स्वभाव से जुड़ा हुआ एक समारोह है , दाह संस्कार , परिचारक के साथ अंत्येष्टि रीति-रिवाजों में मृतकों को याद करने और उनका सम्मान करने के लिए, अंत्येष्टि से लेकर विभिन्न स्मारकों , प्रार्थनाओं और उनके सम्मान में किए जाने वाले अनुष्ठानों तक एक संस्कृति द्वारा उपयोग की जाने वाली मान्यताओं और प्रथाओं का परिसर शामिल है । रीति-रिवाज संस्कृतियों और धार्मिक समूहों के बीच भिन्न होते हैं। अंत्येष्टि में मानक और कानूनी दोनों घटक होते हैं । अंत्येष्टि के लिए सामान्य धर्मनिरपेक्ष प्रेरणाओं में संस्कार ,संस्कृति, का शोक शामिल है मृतक, उनके जीवन का जश्न मना रहे हैं, और शोक संतप्त को समर्थन और सहानुभूति दे रहे हैं; इसके अतिरिक्त, अंत्येष्टि में धार्मिक पहलु हो सकते हैं जिनका उद्देश्य मृतक की आत्मा को परलोक , पुनरुत्थान या पुनर्जन्म तक पहुँचने में मदद करना है ।

मानवीय उत्थान  के कार्य को

रांची निवासी पदम जैन एक मौन प्रिया व्यक्तित्व के धनी  है जिन्होंने अपने जीवन मे अब तक 8,501 से अधिक अंतिम संस्कारों में सहभागिता का लाभ  लिया है ।

उनके साथियों व परिजनो का कहना है कि पदम जी को ढूंढने का सबसे पहला स्थान मुक्तिधाम घाट रांची है । पदम जैन के पिता स्व. श्री कस्तूर चंद्र जी जैन 12 वर्ष की अवस्था में रांची आये थे और यहीं बस गये 90 वर्ष पूर्व उन्हें पदम जी जैसा पुत्र रत्न प्राप्त हुआ पदम जी ने आजीविका के लिए अनाज व्यवसाय में एक ब्रोकर के रूप में अपना कैरियर शुरु किया. पहले तो कार्य की योग्यता के अनुरूप अनाज गल्ला व्यवसायियों के सुख – दुख में भाग लेने के लिए उनके परिवारों में किसी के देहावसान पर उनकी अंतिम शव यात्रा और अंतिम संस्कार के समय चिता सजाने आदि के कार्यों में हाथ बंटाते थे पर यही कार्य उनके जीवन का मुख्य भाग बन गया और बाजार में किसी भी समुदाय के घर पर मृत्यु होने पर पदम जी को अंतिम संस्कारों हेतु  विधि विधान से किये जाने वाले कर्म कांडों के लिए मार्ग दर्शक के रूप में देखा जाने लगा. पदम जी के लिये अब आध्यात्मिक कारणों से इस कार्य को करने से बहुत संतोष मिलने लगा. 20 वर्ष की आयु से शुरु मानवता पूर्ण यह सेवा आज भी अनवरत् चालू है. अब तक इनके द्वारा 8,501 से अधिक अंतिम संस्कार कराये जा चुके हैं. उनके हर कुर्ते में एक दो से लेकर पचासों चिता से उठी चिंगारियों के छेद मिल जायेंगे. कभी कभी तो एक दिन में पांच पांच दाह संस्कारों में भाग लेने के लिए सारा सारा दिन मुक्तिधाम में रहना पड़ जाता है.

सन 2015 से पदम जी जैन ने ऐसे  महिला पुरुषों के लिए भी अंतिम संस्कार करवाने का निर्णय लिया है जो परिवारों से परित्यक्त है जिन के दाह संस्कार के लिये कोई आगे नहीं आता है. ऐसे हिन्दुओं के अबतक 275 से अधिक दाह संस्कार करवा चुके हैं. !‌ इसी क्रम में विगत फरवरी 2023 को 150  अंतिम संस्कार किया है. ! ‌पदम जी मानवता के सच्चे पुजारी हैं.  न यश की कामना न समाचारों में आना और न ही फोटो खिंचवाना बस अपना कर्तव्य और सामाजिक जिम्मेदारी मान मौन रह कर कार्य में लगे रहना है ।

जैन समाज के रांची निवासी पदम जी के जैसे सकारात्मक, आवश्यक , चिंतन मनन व मानवीय व्यक्तित्व के विचारों वाले सदाचारी पुरुषों की समाज , धर्म को अत्यंत और अधिक आवश्यकता  है ।

देवपुरी वंदना समाचार परिवार श्री पदम जैन के कार्यों की दिल से सराहना करता है

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