युगपुरुष : स्वस्ति श्रीचारु कीर्ति स्वामी जी श्रवणबेलगोला

 

इंदौर ! (.देवपुरी वंदना ) भट्ठारक परंपरा की पहचान युगपुरुष स्वस्ति श्री चारु कीर्ति जी स्वामी जी का जन्म 3 मई 1949 को कर्नाटक के वारंग गांव में हुआ था मात्र 20 वर्ष की आयु में श्रवणबेलगोला मठ के उत्तराधिकारी के रुप में तत्तकालीन भट्टारक भट्टाकलंक स्वामी ने आपका चयन किया था
19 अप्रैल 1970 के महावीर जयंती के शुभ अवसर पर मठ बागडोर संभाली अपने 12 दिसंबर 1969 को सन्यास दीक्षा ग्रहण किया था।
आपने जैन दर्शन के साथ षड्दर्शन, इतिहास, तंत्र-मंत्र व विभिन्न भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया। जब आप श्रवणबेलगोला मठ के भट्टारक बने उस समय यहां महज कुछ हजार रुपए की संपत्ति मठ के अधीन थी, आज श्रवणबेलगोला मठ ट्रस्ट करोड़ों रुपए हर वर्ष शिक्षा, स्वास्थ्य, साधर्मी उत्थान आदि चैरिटी कार्यों में खर्च कर रहा है। आपके सानिध्य में भगवान गोमटेश्वर बाहुबली स्वामी के 4 मस्तकाभिषेक सानंद सम्पन्न हो चुके हैं। आज के लगभग सभी भट्टारक आपके शिष्य है, आपने दक्षिण भारत में श्रमण संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अपूर्व भूमिका अदा की। आप भट्टारक पद पर रहते हुए भी संयमित जीवन जीते है, मोबाइल फोन का त्याग, वाहन का अतिसीमित प्रयोग,आहार में निश्चित अन्न लेना, विनम्र स्वभाव आपकी पहचान रहा है।
आप सभी संप्रदायों में समन्वय का प्रयत्न सदैव करते हैं, इसी कारण श्रवणबेलगोला मस्तकाभिषेक में सभी संप्रदायों के संत व श्रावक उत्साह से सम्मिलित होते आ रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1981 में महा मस्तकाभिषेक में स्वामी जी की कार्यशैली और काम करने की क्षमता को देखते हुए कर्मयोगी की उपाधि से सम्मानित किया था विश्व शांति के लिए कार्य करने पर 2017 में कर्नाटक सरकार ने स्वामी जी को महावीर शांति पुरस्कार प्रदान किया।
आपकी कार्यशैली को देवपुरी वंदना समाचार परिवार शत: शत : नमन करता है।

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