उत्तर प्रदेश जैन समाज की शक्ति और निकाय चुनाव – 2023
अयोध्या ! ( देवपुरी वंदना ) सभी को विदित है कि विश्व प्रसिद्ध भारत देश का उत्तर- प्रदेश प्रांत जहां हमारे आराध्य प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेवजी, अजीतनाथ जी,अभिनंदन स्वामी जी सुमति नाथ जी, पार्श्वनाथ जी व श्रेयांसनाथ जी का जन्म स्थली प्रांत है । जैन समाज आज भी अपने आराध्यो की देशना व संदेशों का पालन कर रहा है व करता रहेगा मगर अब देखा जाए तो शरारती तत्वों महत्वकांक्षी लालची व सदैव अपने हित मैं लिप्त राजनैतिज्ञो द्वारा जैन समाज के संस्कार ,संस्कृति, धार्मिक, सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन कर अराजकता फैलाने का कार्य करते आ रहे हैं जिसके चलते जैन समाज असुरक्षित के वातावरण में रहने लगा है जिसके फलस्वरूप रक्षा- सुरक्षा के लिए जैन समाज अब महत्वकांक्षी राजनैतिज्ञों के इरादे नस्तेनाबूत करने का प्रण ले चुका है ।
उत्तर- प्रदेश निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव की तारीख तय कर दी गयी है. आयोग ने दो चरण में नगर निकाय चुनाव कराने का ऐलान किया है. चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी यू.पी. में 2 चरणों में निकाय चुनाव कराए जाएंगे 04 मई और 11 मई 2023 को मतदान होगा और 13 मई 2023 को निकाय चुनाव की मतगणना होगी जिसमें महापौर और पार्षद के चुनाव ई. वी.एम. मशीन से होंगे व शेष बैलट पेपर से होंगे ।
उत्तर – प्रदेश प्रांत के जैन बाहुल्य शहर आगरा ,झांसी ,शाहजहांपुर फिरोजाबाद ,सहारनपुर ,मेरठ कानपुर, लखनऊ ,गाजियाबाद , वाराणसी, प्रयागराज ,अलीगढ़ बरेली ,मुरादाबाद,गोरखपुर ,अयोध्या ,मथुरा – वृंदावन, जैसे 17 नगर निकाय से महापौर पद पर 08 सामान्य वर्ग के लिए व 09 अनुसूचित जनजाति , पिछड़ा वर्ग, और महिलाओं को आरक्षित है। इसी प्रकार 199 गांव, कस्बों जैसे क्षेत्रों के लिए नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए जिसमें 85 सामान्य वर्ग व शेष आरक्षित वर्ग के लिए है। इसके के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के कुल 544 ग्राम पंचायत के अध्यक्ष पद में से 240 सामान्य वर्ग के लिए है ।
जैन समाज के व्यक्तित्व को सभी जानते हैं अहिंसा प्रेमी रहा है व सदा रहता है। क्योंकि वह जिन्हें मानता है या जिनका अनुसरण करता है वह तीर्थंकर अहिंसा परमो धर्म : का पहला पाठ पढ़ाते हैं जिससे बचपन में ही यह बात घर बना लेती है की एक चींटी को भी दु:ख देना महापाप कहलाता है ऐस़े धर्म व समाज के प्रति सजग रहने वाले व्यक्तित्व पर उनकी धार्मिक, सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों पर अगर कोई हमला करें या आस्था, श्रद्धा, भावना को बदलने का प्रयास करता है तब वही जैन समाज अपने धर्म व समाज को बचाने के लिए एक क्षत्रिय वीर योद्धा का खून और जोश की ताकत उसके रग रग में बहती है उसका रूप भी धारण कर लेता है । इसका प्रत्यक्ष उदाहरण उत्तर – प्रदेश नगर निकाय चुनाव में देखने को मिल सकता है ।
जैन समाज ने सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक ,सांस्कृतिक , मानव हितार्थ, सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने वाले जैन समाज ही नहीं और समाज के सदैव लाभ के लिए ग्रुप, संघ, मंडल ,मंच समिति, सभा, के साथ मिलकर के प्रमुख राजनैतिक दल के स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर तक के राजनेताओं व पदाधिकारियों को अपनी मंशा से अवगत करा दिया है। जैन समाज जो कि उच्च तकनीकी शिक्षा, खाद्य सामग्री, ट्रांसपोर्ट, कर प्रणाली, जैसे प्रमुखों में, अपनी अहम भूमिका निभाता आ रहा है। मगर अब राजनैतिक गलियारों के सुरक्षा कवच से उत्तर प्रदेश जैन समाज अपने आप को अब असुरक्षित महसूस कर रहा है जिसका परिणाम अवश्य दिखेगा।
अब देखना यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार के राजनैतिक दल जैन समाज के साथ कितना सहयोगात्मक रवैया अपना ता है या अपनी महत्वाकांक्षा, लालसा, या अवसर वादी अवधारणा को लेकर चलता है पदाधिकारी व सदस्यों द्वारा बताए गए जैन समाज के प्रत्याशियों की उम्मीदवारी पर कितना ध्यान देता है या नहीं अगर इस चुनावी माहौल में जैन समाज का अहित होता है तो वह अपने संस्कार, संस्कृति , सामाजिक ,व धार्मिक लाभ के लिए सजग और जागरूक हो गया है अब जैन समाज चुनाव परिणाम में अपनी एकता ,शक्ति , का अस्तित्व जरूर दिखाएगा जिसका असर राजनैतिक दलों पर अवश्य दिखेगा क्योंकि उत्तर -प्रदेश प्रांत जैन बाहुल्य क्षेत्र है । वह बिना शोर करे अपने तरीके से चुनाव परिणाम दिखाकर मानेगा उत्तर प्रदेश प्रांत की जैन समाज के साथ निकटतम प्रांत राजस्थान, मध्यप्रदेश ,दिल्ली ,बिहार महाराष्ट्र गुजरात, हरियाणा, पंजाब , आदि में निवासरत जैन समाज के पास कई पीढ़ियों से रह रहे अनुभवी श्रेष्ठी जनों के अनुभव के साथ युवा वर्ग का जोश, ताकत, जुनून ,टेक्निकल दिमाग और धर्म ,समाज व राष्ट्र के प्रति अपनी सुरक्षात्मक भावना जुड़ी है जो शिक्षा के परिणाम के साथ साथ अपने धर्म और समाज हित के लिए उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव परिणाम मैं भी फेरबदल करने की ताकत रखता है।