149 दिनो के चातुर्मास‌ समय में आचार्य श्री विहर्ष सागर जी से इंदौर दिगंबर जैन समाज को एक करने का सविनय निवेदन 

इंदौर ! (देवपुरी वंदना ) नाम, पद की महत्वाकांक्षा ही इंदौर दिगंबर जैन समाज के विघटन का मुख्य कारण है एक समय पहले ऐसा कुछ नहीं था । समाज के नेतृत्व
नेतृत्वकर्ता की एक आवाज पर सारा समाज अपनी संस्कार,संस्कृति के रक्षार्थ अपनी सहभागिता निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ता था । मगर आज श्रावक श्रेष्ठी गण समय की कटौती कर सिर्फ अपने नाम व पद की प्रतिष्ठा दांव पर लगाता है…? क्योंकि आज सिर्फ सामाजिक क्षेत्र में नाम, पद, के साथ -साथ सीधा-सीधा आर्थिक लाभ भी मिलता है ! इससे कोई अनभिज्ञ भी नहीं है ।
स्थानीय सामाजिक नेतृत्व की क्षमता का आकलन करें तो नतीजा शून्य ही रहता है मगर समाज श्रेष्ठी अपने इर्द-गिर्द रहने वाले सामाजिक बंधुओं के बहकावे में आकर प्रांतीय व राष्ट्रीय स्तर तक की संस्थाओं में अपना वर्चस्व स्थापित करने की सोच रखते हैं।
वह भूल जाते हैं कि अपने गृह क्षेत्र स्थानीय समाज में अपनी नींव कमजोर हैं तो‌ फिर अपनी महत्वाकांक्षा का परिणाम कैसा आएगा । यह एक विचारणीय प्रश्न है .?. इंदौर दिगंबर जैन समाज मे राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं जैसे महासभा, महासमिति, परिषद , महिला संगठन , शास्त्री व विद्वत परिषद, श्रमण संस्कृति रक्षार्थ संघ, आदि के साथ-साथ पत्रकार महासंघ, भी महत्वाकांक्षाओं का शिकार होते हुए विघटन में अपनी सहभागिता निभाते हुए दो -दो होते चले गए और आम समाज गण अपने आप को ठगा सा महसूस करने लगा क्योंकि समाज में उनकी प्रामाणिकता का अस्तित्व डुबता सा नजर आ रहा है । एकमात्र श्री दिगंबर जैन सोशल ग्रुप फेडरेशन ही सही स्थापना नेतृत्वकर्ता के कारण विघटन की घटना से परे है ।
‌‌ संपूर्ण इंदौर दिगंबर जैन समाज राष्ट्रीय प्रांतीय स्तर तक के सुधार का मोह नही रखते है वह तो सिर्फ अपने स्थानीय समाज में अपनी व अपने परिवार की सहभागिता सुनिश्चित कर ही खुश रहना जानता है ।
वह जान चुका है कभी गिरनार जी हमारा था । उसी क्रम में शनै:
शनै: शिखर जी भी आ रहा है। यहां तक तो ठीक है क्योंकि यह अन्य प्रांतीय क्षेत्र है । उदासीनता के कारण वहा की स्थानीय समाज भी उसे बचा नहीं पा रही है ।
अब हद तो तब हो गई जब न्यायालय द्वारा इंदौर जैन समाज हमारे पूर्वजों की सौगात आन -बान- शान संस्कार, संस्कृति सामाजिक ,धार्मिकता की पहचान श्री गोमटगिरी तीर्थ क्षेत्र
की रक्षा सुरक्षा के लिए सीमांकन क्षेत्र के कार्य में रुकावट डालते हुए हम अजैनो के द्वारा कब्जा प्रवृत्ति को रोकने में असफलता कि और चलने पर विवश होते हुए राजनैतिक , शासन-प्रशासन के संरक्षण में समझौता नाम की सड़क पर चलने के लिए मजबूर हो रहे हैं ? यह हमारी उदासीनता का प्रमाण ही है !
इंदौर शहर के विस्तार एवं सधार्मिक बंधुओं की तीव्रता से बढ़ती संख्या एवं आस्था भक्ति में लगभग ढाई सौ के आस-पास मंदिर जी एवं चैत्यालयो की संख्या तकरीबन है ।
इसी के लाभ से नाम ,पद , प्रतिष्ठा में आम साधर्मी बंधुओं जिनकी संख्या लाखों तक के ‌आंकड़ों को पार कर जाती है जिनकी इच्छा ना होते हुए भी सामाजिक नेतृत्व को चलाने हेतु शीश महल, कीर्ति स्तंभ के नाम कि इंदौर दिगंबर जैन सामाजिक संसद के साथ-साथ एक और सामाजिक संसद से श्रावक – श्राविका भ्रमित होते नजर आ रहे हैं । देखा जाए तो इंदौर दिगंबर जैन सामाजिक संसद केवल महावीर जयंती, आनंद चौदस , क्षमावाणी पर्व पर ही संत के सानिध्य में एकत्रित होने का आह्वान कर इतिश्री करने का कार्य रहता है । विगत वर्षों में कोरोनावायरस के डर से सभी सामूहिक धार्मिक आयोजनों की कमी रही थी । मगर हमारे पुण्यौदय के चलते हमें पुन: सामूहिक रूप से धार्मिक आयोजन कर धर्म लाभ लेने का मौका मिला है!
आगामी 2 जुलाई 2023 से प्रारंभ हो रहे 149 दिवसीय चातुर्मास ( वर्षा योग ) का लाभ इंदौर जैन समाज राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 विहर्ष सागर जी ,मुनि श्री 108 विजयेश सागर जी ,मुनि श्री 108 विश्वहर्ष सागर जी,
ब्रह्म. नीतू दीदी सात प्रतिमा धारी,
ब्रह्म. प्रियंका दीदी सात प्रतिमा धारी , ब्रह्म.रीना दीदी पांच प्रतिमा धारी ससंघ के सानिध्य में हर उम्र ,हर वर्ग के साथ तप, त्याग , साधना आराधना, की भक्ति में लीन रहते हुए सभी का मानवीय जीवन सफल बनाने की ओर अग्रसर रहेंगे । गुरुदेव के चरणों में त्रिवार नमोस्तु करते हुए देवपुरी वंदना समाचार पत्र आपसे बस यही सविनय निवेदन करता है कि कुल, परिवार, धर्म, समाज, तीर्थ के संस्कार, संस्कृति के रक्षार्थ आपके सानिध्य में इंदौर दिगंबर जैन समाज को एक और आयाम स्वरूप समाज की एकता को संगठित कर इंदौर जैन समाज की अभिलाषा को उनकी मनचाही ऊंचाई प्रदान करें । 🙏🏻🙏🏻

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