03 जुलाई को आगरा में युवा प्रणेता गणिनी गुरु मां 105 आर्ष मति माताजी ससंघ का चातुर्मास (वर्षा योग ) मंगल कलश स्थापना
आगरा ! ( देवपुरी वंदना ) तप, साधना, आराधना व ज्ञान वृद्धि का महापर्व चातुर्मास (वर्षायोग) का जैन धर्म में सामाजिक तथा धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। व्यक्ति और समाज में परपस्पर सम्बद्ध हैं। एक-दूसरे का विकास परस्पर सहयोग से होता है। हमारे साधु-साध्वियां वर्षावास में लोगों को समाज में परस्पर भाईचारे, सद्भावना और आत्मीयता बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं। आधुनिक युग संदर्भ में व्यक्ति और समाज की परिस्थितियां बदल गई हैं। जीवन में कुंठाएं, धन लोलुपता और पक्ष राग बढ़ गया है तथा धर्म राग कम हो गया है। फिर भी साधु-साध्वी इसमें संतुलन रखने और मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं जिससे समाज में एकसुरता बनी रहती है। धार्मिक दृष्टि से तप, जप, स्वाध्याय, दान, उपकार और सेवा आदि प्रवृत्तियों को प्रश्रय देना उनका ध्येय भी है और कर्तव्य भी, क्योंकि साधु-साध्वियां समाज के अधिक निकट होते हैं और वे समाज में पनप रही रूढिय़ों और मिथ्या धारणाओं का निराकरण करने का प्रयत्न करते हैं। आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज की अंतिम दीक्षित शिष्या गणिनी रत्न गुरु मां 105 आर्षमति माताजी के संघस्थ आर्यिका श्री 105 अमोघ मति माताजी,आर्यिका श्री105 अर्पण मति माताजी, व आर्यिका श्री 105 अंश मति माताजी के साथ ब्रह्म.कंचन दीदी के साथ
उत्तर – प्रदेश प्रांत की ताज नगरी
आगरा शहर स्थित आगामी गुरु पूर्णिमा महामहोत्सव के साथ सोमवार 03 जुलाई 2023 को दोपहर 1:00 बजे श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर ओल्ड ईदगाह कॉलोनी और ज्ञानार्ष वर्षा योग समिति आगरा के तत्वावधान में क्षेत्र स्थित कम्युनिटी सेंटर सत्संग भवन पुरानी ईदगाह कॉलोनी आगरा उत्तर प्रदेश के परिसर में सकारात्मक भावों को लेकर 149 दिवसीय चातुर्मास (वर्षा योग)
मंगल कलश स्थापना संस्कार, संस्कृति, रक्षार्थ भव्य आयोजन होने जा रहा है। जिसमें श्रावक श्रेष्ठी गण उपस्थित होकर धर्म लाभ ले ।
– : गुरु मां का जीवन दर्शन :-
भारत देश के उत्तर प्रदेश प्रान्त में शमशाबाद (आगरा) के एक छोटे से गांव में 04 जनवरी 1981 को जैसवाल जैन उपरोचियाँ समाज के श्रावक श्रेष्ठी श्रीमान लखमीचन्द जैन के यहां माता श्रीमती किरणदेवी जैन की कुक्षी से एक बालिका का जन्म हुआ । बालिका के जन्म पर परिवार में खुशियों का माहौल था । गांव के पंडित जी ने बालिका की कुंडली बनाई और घोषणा करदी कि यह बालिका कोई साधारण बालिका नहीं हैं । जिस योग और नक्षत्र में इसका जन्म हुआ है, उसके अनुसार यह विश्व व॑दनीय रहकर देश, धर्म एवं समाजोत्थान के कार्यो में संलग्न रहेगी । पंडित जी ने बालिका का नाम अ अक्षर से होना बताया । नामकरण के समय बालिका का नाम अल्पना रखा गया । लेकिन बालिका इतनी सुंदर, चंचल एवं नटखट थी कि सभी उसे प्यार से गुड़िया कहने लगे । गुड़िया की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई । गांव में शिक्षा की समुचित व्यवस्था न होने के कारण आपकी लौकिक शिक्षा कम ही रही । गुड़िया प्रारम्भ से ही सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए सदैव देव, शास्त्र, गुरु की आराधना एवं दिगम्बराचार्यों, साध्वियों की आहारचर्या, वैयावृत्ति में संलग्न रहती थी । गुड़िया को संयम के पथ पर चलने की प्रेरणा पारिवारिक माहौल से ही मिली । आपके ग्रहस्थ अवस्था के पिताजी मुनि श्री 108 विज्ञान सागर जी महाराज, बड़े बाबा मुनिश्री 108 श्रुतसागर जी महाराज, दादाजी क्षुल्लक श्री 105 दयासागर जी महाराज ने संयम का मार्ग स्वीकार कर जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर मोक्षगामी बने । आपके चाचा जी मुनिश्री108 सर्वानन्द सागर जी महाराज वर्तमान में अभिक्षण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री 108 वसुनन्दी जी महाराज के संघ में साधनारत हैं ।
गुड़िया का मन घर में नहीं लगता था । वह भी घर त्यागकर संयम के मार्ग पर चलना चाहती थी । आपने सराकोद्धारक उपाध्याय श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज के दर्शन कर, अपने मन के भाव व्यक्त कर, संघ में 23 जुलाई 2006 को प्रवेश किया । आचार्य श्री के संघ में साधनारत रहते हुए आपने 28 जनवरी 2008 को ब्रह्मचर्य व्रत एवं 25 अप्रैल 2013 को दो प्रतिमाएं स्वीकार कर संयम का मार्ग अंगीकार किया । आप गुड़िया से गुड़िया दीदी बन गईं । आपने अनेकों वर्षों तक छाणी परम्परा के षष्ट पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागर जी के संघ में रहकर शास्त्रों का गहन अध्ययन करते हुऐ आर्यिका दीक्षा देने का निवेदन किया । आपकी विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए पूज्य श्री 108 ज्ञानसागर ज़ी महाराज ने 13 फरवरी 2020 को अतिशय क्षेत्र जहाजपुर में गुड़िया दीदी को आर्यिका दीक्षा प्रदान की औऱ आप गुड़िया दीदी से आर्यिका श्री 105 आर्षमति माताजी बन गईं पूज्य गुरुदेव की छत्र छाया आपको अधिक समय तक नहीं मिल सकी दीक्षा के कुछ समय वाद ही आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी समाधि को प्राप्त हो गए । सप्तम पट्टाचार्य श्री 108 ज्ञेयसागर जी महाराज ने 03 फरवरी 2022 को अतिशय क्षेत्र सिहोनियाँ जी (मुरेना) मध्यप्रदेश में गणिनी आर्यिका पद से विभूषित किया ।
गुरु मां के श्री चरणों में त्रिवार वदा॑मी
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