हिंदू मंदिर में गैर हिंदुओं को प्रवेश नहीं तो जैन मंदिरों में हिंदू क्यों …?

If non-Hindus are not allowed to enter Hindu temples, then why are Hindus allowed to enter Jain temples?

 ‌ इंदौर ! ( देवपुरी वंदना ) जब हिंदू मंदिर पिकनिक स्पॉट नहीं है और गैर हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती तमिलनाडु के पलानी मंदिर मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि गैर-हिंदुओं को मंदिर में ध्वजस्तंभ के बगल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती। तो फिर जैन मंदिरों में हिंदुओं को प्रवेश क्यों साथ ही, कोर्ट ने मंदिर प्रशासन को प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड लगाने का आदेश दिया है। तमिलनाडु हाई कोर्ट की मदुरै पीठ को जस्टिस एस. श्रीमती ने कहा कि मंदिर पिकनिक स्पॉट नहीं हैं और अन्य समुदायों की तरह हिंदुओं को भी बिना किसी हस्तक्षेप के अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है। इसलिए, अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह ध्वज स्तंभ से आगे मंदिर परिसर के अंदर ” गैर- हिंदुओं को अनुमति नहीं देने का संकेत देने वाले बोर्ड स्थापित करे”।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यदि कोई गैर-हिंदू मंदिर में प्रवेश करना चाहता है, तो ऐसे व्यक्ति से लिखित शपथ पत्र लेना होगा कि वह हिंदू धर्म, उसके रीति-रिवाजों और मंदिर के देवताओं में विश्वास करता है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और संबंधितअधिकारियों को परंपरा और नीति के अनुसार मंदिर का रखरखाव करने का आदेश दिया। मंदिर संविधान के अनुच्छेद 15 के अंतर्गत नहीं आते हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि गैर-हिन्दुओं के प्रवेश पर जुर्माना लगाना अनुचित है। कोर्ट में पलानी के सॅथिल कुमार ने याचिका दायर की थी अब इस प्रत्यक्ष सबक से जैन समाज क्या सीख लेता है । इंदौर के कांच मंदिर को भी हिंदू मुंह में तंबाकू पान रखकर घूमने आता है .? इसी प्रकार देखा जाए तो हस्तिनापुर मंदिर में हिंदू तो ठीक किसको प्रवेश दिया जाता है उस से कोई अनभिज्ञ नहीं है यू देखा जाए तो जैन समाज के लगभग सभी बड़े मंदिरों व तीर्थ क्षेत्र की स्थिति और भयानक है अब तीर्थ क्षेत्र कमेटी व अन्य संस्थाएं और मंदिरों की कमेटी किस और व कौन सी दिशा में जाती है।

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