ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा- घूसखोरी की छूट नहीं दे सकते

While giving a historic decision, he said – bribery cannot be allowed.
While giving a historic decision, he said – bribery cannot be allowed.

वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है ‎कि घूसखोरी की छूट नहीं दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एमपी-एमएलए को संरक्षण देने से साफ इंकार कर ‎दिया है। जानकारी के अनुसार क्या सांसदों और विधायकों को संसद या विधानसभा में भाषण देने या वोट डालने के लिए रिश्वत लेने पर अभियोजन से छूट है? इसे लेकर एक याचिका दायर की थी, ‎जिसपर अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए 1998 के नरसिम्हा राव जजमेंट के अपने फैसले को पलट दिया और सांसदों-विधायकों को कानूनी संरक्षण देने से इनकार कर दिया है। बता दें ‎कि सुप्रीम कोर्ट की सात जजों वाली बेंच ने कहा कि सांसद या विधायक सदन में मतदान के लिए रिश्वत लेकर मुकदमे की कार्रवाई से नहीं बच सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि घूसखोरी पर किसी तरह की छूट नहीं दी जा सकती है। गौरतलब है कि 1998 में 5 जजों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से यह तय किया था कि इसके लिए जनप्रतिनिधियों पर मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता। supreme court
गौरतलब है ‎कि सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सहमति से दिए गए अहम फैसले में कहा कि विधायिका के किसी सदस्य द्वारा किया गया भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को खत्म कर देती है। रिश्वतखोरी किसी भी संसदीय विशेषाधिकार द्वारा संरक्षित नहीं है। सीजेआई ने कहा कि विधायकों द्वारा भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी भारतीय संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को नष्ट कर देती है। बेंच ने इस मामले में पांच अक्टूबर 2023 को अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल, 1998 में दिये गए फैसले में सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या फिर वोट देने के लिए रिश्वत लेने पर भी अभियोजन से छूट दी गई थी। देश की राजनीति को हिलाने वाले जेएमएम रिश्वत कांड के इस फैसले पर 25 साल बाद देश की सबसे बड़ी अदालत ने पुनर्विचार करके अपना फैसला सुनाया है।

source – ems

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