इंदौर जैन कॉलोनी में सिद्धों और साधुओं की आराधना के साथ नौ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान हुआ प्रारंभ
इंदौर ! अंतर्मुखी मुनि श्री108 पूज्य सागरजी महाराज और क्षुल्लकश्री105 अनुश्रमण सागर महाराज के सानिध्य में नेमिनगर जैन कॉलोनी में नौ दिवसीय सिद्धचक्र मंडल विधान का प्रारंभ हुआ। समाज के अध्यक्ष कैलाश लुहाड़िया एवं महामंत्री गिरीश पटौदी ने बताया कि विधान का प्रारंभ प्रातः भगवान के अभिषेक शांतिधारा से किया गया। भगवान की शांतिधारा करने का लाभ सुदर्शन जटाले को मिला। मुनि श्री के पाद प्रक्षालन का लाभ अनिल अजमेरा को प्राप्त हुआ। ध्वजारोहण महेन्द्र गंगवाल ने किया। नव दिवसीय विधान का सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य राजेश जैन को , कुबेर इन्द्र बनने का सौभाग्य पवन- मंजू जैन गुना वाले को, ईशान इंद्र बनने का सौभाग्य कैलाश- दमयंती लुहाड़िया को, सनत कुमार इन्द्र बनने का सौभाग्य गिरीश -निर्मला पाटोदी, महेंद्र बनने का सौभाग्य महेंद्र कुमार -इंदू गंगवाल को, यज्ञ नायक बनने का सौभाग्य नरेंद्र- उषा काला को एवं मैना सुंदरी बनने का सौभाग्य अर्चिता पटौदी को प्राप्त किया। विधान 17 मार्च से 25 मार्च तक किया जाएगा। सभी धार्मिक क्रियाएं विधानचार्य महेन्द्र गंगवाल के निर्देशन में हो रही हैं। कार्यक्रम का मंगलाचरण किरण बड़जात्या ने किया। आभार अध्यक्ष कैलाश लुधियाना ने व्यक्त किया। संचालन गिरीश पटौदी ने किया।
इंद्र बनकर पूजा करने से दुगुना फल मिलता है ।
इस अवसर पर अंतर्मुखी मुनि श्री108 पूज्य सागर महाराज ने कहा कि सिद्धों की आराधना से शरीर के रोग दूर हो जाते हैं। उनके नाम मात्र का उच्चारण ही कार्य को निर्विघ्न संपन्न कर देते हैं। आठ कर्मों का नाश कर मानव सिद्ध बनता है तो उसके आठ गुण प्रकट हो जाते हैं। आप सब भाग्यशाली हैं कि आपको विधान करने का अवसर मिला है। इंद्र बनकर पूजा करने पूजा का फल दुगना हो जाता है। आपको पूजा करने का अवसर दिगंबर साधु के सानिध्य में मिला तो वैसे ही पूजा का फल कहीं अधिक मिलेगा। हम सब का अंतिम लक्ष्य सिद्ध बना ही है। आप भी यहां बैठकर सिद्ध बनने की भावना से पूजा करना। विधान का मुख्य कलश राजेश-ममता बज, और चार कलश, अष्ट मंगल द्रव्य ,अष्ट प्रतिहार्य और पंच मेरु महिलाओं ने विराजमान किया।