नवग्रह तीर्थ वरुर हुबली सन् 2025 में रचने जा रहा है स्वर्णिम ऐतिहासिक इतिहास….
इंदौर!(देवपुरी वंदना).उत्तर व दक्षिण भारत का मध्य अलौकिक, अद्भुत ,चमत्कारिक मनवांछित फल दाता नवग्रह जैन तीर्थ कर्नाटक प्रांत के हुबली के पास वरूर में स्थित है । नवग्रह तीर्थ भारत में जैन समुदाय के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है जहां पर श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ की 61 फुट (19 मीटर) ऊंची मूर्ति और अन्य आठ जैन तीर्थंकरों की छोटी प्रतिमाएं हैं यह प्रतिमा भारत में जैन पार्श्वनाथ भगवान की सबसे ऊंची प्रतिमा है और इसका वजन 185 टन है। प्रतिमा 48 फुट (15 मीटर) ऊंचे आसन (कुल 109 फुट (33 मीटर) के साथ-साथ पूरे देश में 405 फीट ऊंचे सुमेरु पर्वत अपनी अलौकिक शक्ति का गुणगान कर रहे हैं इसके साथ सामाजिक ,धार्मिक ,शैक्षणिक, व मानव हितार्थ,व मुक बधिर प्राणियों के लिए सहायता शरण स्थली आगामी 2025 के प्रथम माह में स्वर्णिम इतिहास रचने जा रहा है इसके साक्षी बनेंगे दिगंबरत्व के पहचान श्रमण संस्कृति के उन्नायक हजारों की संख्या में रक्षार्थ साधु परमेष्ठी , लाखों समाज श्रेष्ठीयो के साथ केंद्र से लेकर स्थानीय राजनीतिक व्यक्तित्व, सिने जगत के सितारे, देश के साज बाज लिए आकर्षक मंत्रमुग्ध करने वाले स्वर लहरियो और क्षेत्रीय स्तर अपनी वेशभूषा के साथ श्रावक श्राविकाओं की टोली तो आप तैयार हो जाइए पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए। आचार्य श्री 108 कुंथुसागर जी के शिष्य ऐतिहासिक नवग्रह तीर्थ के स्वप्नद्रष्टा आचार्य श्री108 गुणधरनन्दिजी महाराज के बहुआयामी योगदानों में सर्वाधिक महान है कर्नाटक में हुबली के पास वरूर में विश्व में सर्वप्रथम निर्मित ‘न भूतो न भविष्यति’ आश्चर्यजनक, नवग्रह तीर्थ। इस तीर्थ क्षेत्र में 17 मीटर के गोल भूलोक ब्रह्माण्ड के ऊपर निर्मित बहुत सुंदर और मजबूत केतु ग्रह के स्थान पर 18 मीटर ऊंचे सहनफणी भगवान पार्श्वनाथ की खड़गासन प्रतिमा विराजमान की गई है। यह प्रतिमा अत्यंत मनोज्ञ है। इसके साथ ही आठ और ग्रहों – राहु, मंगल, बुध, शनि, शुक्र, गुरु, सूर्य, चंद्र के अधिष्ठाता तीर्थंकरों – महावीर, पुष्पदंत, चंद्रप्रभु, वासुपूज्य, पद्मप्रभु, मल्लिनाथ, नेमिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ की 7 से 9 मीटर ऊंची प्रतिमाएं ऊंचे-मजबूत कांक्रीट स्तंभों पर खड़गासन में विराजमान की गई हैं। ये प्रतिमाएं अलग-अलग रंगों की हैं। तीर्थंकर महावीर स्वर्ण रंग में, पुष्पदंत शुभ्र ग्रेनाइट में, चंद्रप्रभु भी शुभ्र ग्रेनाइट में, पद्मप्रभु लाल रंग में, मल्लिनाथ हरे रंग में, नेमिनाथ श्याम रंग में और मुनिसुव्रतनाथ भी श्याम रंग में हैं। सभी स्तंभों को गोल ग्रहों के आकार में सुंदर गुंबजों के साथ बनाया गया है, जहां ग्रह देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान हैं। 40 एकड़ के भू क्षेत्र में फैला यह नवग्रह तीर्थ अत्यंत आकर्षक और भव्य है इसके साथ-साथ निकटवर्ती में संजीविनी ट्री पार्क (33 किलोमीटर), अत्तिवेरी पक्षी अभयारण्य (26 किलोमीटर), उत्सव रॉक गार्डन (23 किलोमीटर), और नृपतुंगा हिल (20 किलोमीटर) मंदिर के साथ सबसे अच्छे आकर्षण हैं जो हुबली से मात्र 16 किलोमीटर बेंगलुरु से 392 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां सड़क वहां के साथ-साथ निकटतम शहर में हवाई व रेल सुविधा भी है ।