उज्जैन जहां म.प्र. राजकीय अतिथि आचार्य श्री और मुख्यमंत्री एक शहर में उपस्थित है फिर भी जैन समाज…?
उज्जैन ! इतिहास के पन्नों पर धर्म नगरी के नाम से प्रसिद्ध उज्जैन शहर जहां पर संपूर्ण देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु अपनी आस्था श्रद्धा भक्ति को लेकर पूर्ण समय आते रहते हैं कहां जाता है। महाकाल की नगरी में धर्म प्रभाव ना के लिए यह पवित्र भूमि है फिर ऐसा क्या हो जाता है कि शहर की सड़क चौड़ी करने के नाम पर जैन समाज की प्राचीन धरोहर चार सदी से जो शहर का वह समाज का मान बढ़ाती है क्या वही प्राचीन धरोहर विकास के नाम पर क्यों रोड़ा बन जाती है। अगर प्रशासन चाहे तो और भी वैकल्पिक रास्ते निकल सकते हैं मगर लगभग 500 वर्ष पूर्व प्राचीन धरोहर को अपनी वास्तविक स्थिति से दूर कर सड़क चौड़ीकरण के नाम पर क्यों उसकी पहचान से वंचित किया जा रहा है? प्राचीन धरोहर को अपनी सुख सुविधा या भौतिक नए आधुनिकीकरण के नाम पर नया आयाम क्यों दिया जा रहा है। समाज के जिम्मेदार व्यक्तित्व क्यों पीछे हट रहा है वह व्यक्तिगत पारिवारिक व्यापारिक लाभ को अपने पहचान कुल परंपरा को नजरअंदाज कर अपनी धरोहर को किस प्रकार तहस-नहस होते आंखें बंद कर या दूर खड़े होकर तमाशा देख रहा है।
सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि उज्जैन शहर में ही श्री 1008 महावीर तपोभूमि के प्रणेता आचार्य श्री 108 प्रज्ञा सागर जी गुरुदेव जो कि मध्य प्रदेश के राजकीय अतिथि के रूप में वहीं पर विराजमान है फिर भी समाज में हो रही अपनी धरोहर की दुर्दशा पर कोई चिंतन मनन नहीं.. क्यों? इससे भी ज्यादा आश्चर्य हो रहा है कि मध्य प्रदेश शासन प्रशासन के मुख्यमंत्री भी उज्जैन शहर के ही निवासरत है वह भी नयापुरा के दिगंबर जैन मंदिर से काफी समीप ही निवास करते हैं। जब चुनाव आए थे जब अपने ही साथियों ने बड़ी जोश व ऊर्जा के साथ बड़ा विश्वास करते हुए अपना अमूल्य वोट दिया, मगर वह भी राजनीतिक माहौल में बदल गया। अब देखना यह है कि उज्जैन शहर में विराजित आचार्य श्री क्या दिशा निर्देश समाज को देते हैं। अपनी धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए अब वह कौन से कदम उठाते हैं। साथ ही साथ उज्जैन जैन समाज के राजनीतिक गलियारों में अपनी साख जमाएं बंधु शासन-प्रशासन के साथ किस प्रकार अपनी श्रद्धा भक्ति व आस्था का प्रमाण देते हैं। या अपने पूर्वजों द्वारा दी गई धरोहर को यूं ही जमीन पर ध्वस्त होते हुए देखते हैं। क्या आचार्य श्री 108 प्रज्ञा सागर जी तपोभूमि पर हो रहे नव निर्माण की ओर अग्रसर रहते हुए अपनी प्राचीन धरोहर की पहचान को बचाने का प्रयास करेंगे या शासन-प्रशासन को अपना मध्य प्रदेश राजकीय अतिथि का दर्जा मुख्यमंत्री को लोटा देंगे या…..
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