2,000 किलो की आचार्य श्री108 विद्यासागर जी की मनमोहक मूर्ति 21 जुलाई को गुप्तिधाम गन्नौर में विराजित होगी
हरियाणा ! भारत के हरियाणा राज्य की प्रथम ऐतिहासिक भूमि गुप्तिधाम, गन्नौर में पहली बार गुरु पूर्णिमा के पावन प्रसंग पर की जायेगी प.पू. संत शिरोमणि आचार्यश्री 108 विद्यासागर जी गुरुदेव की 2000 किलो (02 टन) की वजनदार ऐतिहासिक एवं मनमोहक मूर्ति विराजमान
प.पू. राष्ट्रसंत, महायोगी उपाध्याय श्री डॉ. गुप्तिसागर जी मुनिराज ससंघ के पावन वर्षायोग-2024 हेतु मंगल कलश स्थापना
शुभतिथि – 21 जुलाई 2024 (दोपहर – 01:30 बजे)
निर्देशन विदुषी बा.ब्र.रंजना शास्त्री जी
स्थान – गुप्तिधाम तीर्थक्षेत्र, गन्नौर (हरियाणा )
गुरुवर डॉक्टर गुप्तिसागर जी जन्म नाम – सिंघई नवीन कुमार जैन
जन्म स्थान – गढ़ाकोटा, सागर, मध्य प्रदेश
जन्म दिनांक – 4 दिसंबर, 1957
ब्रह्मचर्य व्रत – अतिशय शेत्रा पटैरियाजी, 29 मार्च 1979
पहला केशलोचन – सिद्ध क्षेत्र नैनगिरि, 27 जुलाई, 1979
ऐलेक दीक्षा – सिद्ध क्षेत्र नैनगिरि, 20 अगस्त, 1980
मुनि दीक्षा – सिद्ध क्षेत्र नैनगिरि, 20 अगस्त, 1982
दीक्षा गुरु – आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
उपाध्याय पद – आचार्य श्री विध्यानंद जी, गोम्मटगिरि (इंदौर), 17 फरवरी 1991
उपाध्यायश्री श्री 108 गुप्ति सागर जी महाराज की मौलिक रचनाएँ :
विध्यांजलि शिवशाल, पुरुषार्थ की विजय , दहेज न सहज ,खुली किताब, तीर्थंकर ऋषभ का अनन्य अवदान जीवन की संपूर्ण
कलाय शारदा स्तुतिरियम शाकाहार समाधान पारस पुरुष पर्युषण आत्मप्रकाश की दीपमालिका आदि अनेकों ग्रंथो का प्रकाशन किया है।
पूर्व वर्षावास के स्थान :
सिद्ध क्षेत्र मुक्तागिरि ,सिद्ध क्षेत्र नैनागिर, सिद्ध क्षेत्र नैनागिरि इसरी बाजार (बिहार), अतिशय शेत्र मड़ियाजी (जबलपुर), सिद्ध क्षेत्र आहार: अतिशय शेत्र पटैरियाजी (गढ़ाकोटा)) अतिशय शेत्र थुमवोन सिद्ध क्षेत्र कुंडलगिरि, कुंडलपुर : अतिशय शेत्र पटैरियाजी (गढ़ाकोटा), सिद्ध क्षेत्र कुंडलगिरि, अतिशय शेत्र गोम्टगिरि (इंदौर), सिद्ध क्षेत्र बावनगाजी (बड़वानी,) आदि स्थलों पर किया है।
~ संजय जैन✍🏻