जयपुर में चातुर्मास के लिए विराजित आचार्य श्री 108 शशांक सागर जी को राजस्थान सरकार द्वारा राजकीय अतिथि का दर्जा मिला ..

जयपुर ! (देवपुरी वंदना) आराध्या भगवान श्री 1008 महावीर स्वामी जी की अक्षुण्ण परम्परा का निर्वाह करने वाले, वर्तमान के वर्धमान, राष्ट्रयोगी, सराकोद्धारक भारत गौरव, कवि उदय, वात्सल्य मूर्ति, अभिक्ष्ण ज्ञानोपयोगी, गुरुदेव आचार्य श्री 108 शशांक सागरजी ससंघ का धर्म प्रभावना करते हुए वरुण पथ, मानसरोवर जयपुर (राजस्थान) की पावन धरा पर चातुर्मास वर्षायोग चल रहा है !
उक्त जानकारी देते हुए संघपति
साहिल जैन ( 9046219324 ) ने बड़े हर्षोल्लाह से बताया कि इसी दौरान राजस्थान शासन- प्रशासन ने गुरुदेव को राजस्थान का राजकीय अतिथि घोषित किया जिससे समाज जन में हर्ष व्याप्त है !

आचार्य श्री 108 शशांक सागरजी महाराज का परिचयचार्य श्री 108 शशांक सागरजी महाराज का जन्म शिवपुरी, मध्य प्रदेश में 08 मई, 1983 को हुआ था। उनके माताजी का नाम श्रीमती शकुंतला जैन और पिताजी का नाम श्री रघुवीर चंद्र जैन है। आचार्य श्री शशांक सागरजी महाराज ने अपनी शालेय शिक्षा बी.एस सी में पूरी की और उनकी क्षुल्लक दीक्षा 11 अगस्त, 2000 को उत्तर प्रदेश के टिकैत नगर में आचार्य श्री 108 सिद्धांत सागरजी महाराज के शिष्य बनकर ली। उनकी ऐलक दीक्षा 26 जनवरी, 2001 को लखनऊ में आचार्य श्री 108 सिद्धांत सागरजी महाराज से हुई और मुनि दीक्षा 06 अप्रैल, 2001को उत्तर प्रदेश के बहराइच में उन्होंने आचार्य श्री 108 सिद्धांत सागरजी महाराज के शिक्षार्थी बनकर ग्रहण की। उनकी उपाध्याय पद प्राप्ति 26 जनवरी, 2007 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में तपस्वी आचार्य श्री 108 सन्मति सागरजी महाराज के उपाध्याय बनने से हुई।

गुरुवर के चरणों में शत-शत नमोस्तु नमोस्तु‌ !

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