सनावद निवासी आस्था जैन बीएएमएस डॉक्टर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण
सनावद ! (देवपुरी वंदना ) जैनजगत के समाजसेवी ,जैन पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेन्द्र जैन महावीर -अनुपमा जैन सनावद की सुपुत्री कु आस्था जैन ने बीएएमएस की परीक्षा प्रथम श्रेणी 71.1प्रतिशत से उत्तीर्ण कर उल्लेखनीय स्थान प्राप्त किया है। भोपाल के प्रतिष्ठित पंडित खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय में अध्ययनरत आस्था जैन ने आयुर्वेद प्रवेश परीक्षा 2016 में राष्ट्रीय स्तर पर 65 रेंक प्राप्त की थी । अब वो डॉ आस्था जैन के नाम से जानी जाएगी ।
डॉ आस्था ने बताया कि उन्होंने कक्षा 1 से 12 तक अँग्रेजी माध्यम से सनावद व बड़वाह में पढ़ाई की, लेकिन उन्हें आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पढ़ने में भारतीय संस्कृति के महान आयुर्वेदिक चिकित्सा शास्त्री चरक,सुश्रुत, आदि को संस्कृत भाषा में पढ़ा ,जिसका एक अलग आनंद आया। अंग्रेजी की अपेक्षा संस्कृत भाषा पढ़ने में उन्हें ऐसा लगा कि वे ऐसी भाषा पढ़ रही हैं मानो वे कोई देवदूत के पवित्र ह्रदय की गहराइयों से निकले विचारों को आत्मसात कर रही हैं। एक भाषा के रूप में अंग्रेजी आना अच्छा है लेकिन भारतीय चिकित्सा पद्धति को जानना है तो देव भाषा में जानना अभूतपूर्व अनुभव रहा। डॉ आस्था ने आयुर्वेद चिकित्सा पढ़ने का निर्णय जैन आचार्य,मुनिराज,आर्यिका माताजी व माता पिता की प्रेरणा से लिया कि यह पद्धति न केवल स्वयं के लिए बल्कि साधु संतों की सेवा के लिए भी मौका देती हैं क्योंकि संत केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा ही लेते है । भविष्य में मास्टर डिग्री की अपेक्षा के साथ वे अभी एक वर्ष इंटर्नशिप भोपाल से ही करेगी।
आयुर्वेद में अद्भुत क्षमता है
डॉ आस्था जैन ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति भारत की महान परम्परा को बताती है कि मनुष्य के मन की पवित्रता से उपचार किया जाए तो रोग तत्काल ठीक हो सकता है।वैद्य को लालच से दूर रहकर केवल मनुष्य को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ने अपनी उपयोगिता अभी हाल ही में हुए कोरोना संकट के दौरान साबित की है, जब घर बैठे अनेक संकट ग्रस्त लोगों ने त्रिकटु का काढ़ा, आयुष क्वाथ आदि आयुर्वेदिक दवाओं के माध्यम से अपने आप को ठीक किया है। आयुर्वेद में सर्जरी की व्यवस्था को हमारे आचार्य सुश्रुत ने सबसे पहले विश्व पटल पर रखा था। डॉ आस्था ने यह भी बताया कि कोई भी चिकित्सा पद्धति चाहे वह होम्योपैथी हो, एलोपैथी हो,नेचुरोपैथी हो,यूनानी हो ,कोई खराब नहीं होती हैं वह देश,काल,परिस्थितियों के अनुसार निर्मित होती हैं । किसी भी पद्धति को खराब कहना उनके महान शोध का अपमान करने जैसा है। सभी पद्धतियां मनुष्य का उपचार करती हैं ।भारत सरकार ने भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देकर विश्व के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है कि हमारी संस्कृति में वह सब कुछ था और हैं भी कि हम किसी से कम नहीं है , लेकिन हमें एक पूर्वाग्रह के साथ दबाने की कोशिश की जा रही थी वह भारत सरकार ने समाप्त कर बता दिया है कि भारतीय संस्कृति में वो ताकत है जो विश्व गुरु बन सकती हैं। देवपुरी वंदना समाचार परिवार
डॉ आस्था जैन को बहुत बहुत बधाई के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं प्रदान करता है।