गायों की रक्षा-सुरक्षा के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा आगामी बजट में 90 करोड़ रुपए लगाने का प्रावधान होगा
( खबर का असर )
भोपाल !( देवपुरी वंदना ) चरितार्थ सत्य है कि जहां राष्ट्र ,धर्म ,समाज की संस्कार- संस्कृति के साथ खिलवाड़ किया जाता है वहां की सुख – शांति और समृद्धि कोसो दूर चली जाती है। जिसे संपूर्ण विश्व ने अभी-अभी कोरोना महामारी नामक वायरस से भूगता ही है । जिसका असर अभी भी चल ही रहा है। सृष्टि पर रहने वाले सभी जीव- जंतु के साथ मनुष्य का भी अनुपात सही रखती है मगर मानव अपने स्वार्थ के लिए पशुधन का उपयोग रूपए पैसे कमाने में करता है जिसका दुष्परिणाम सभी को भुगतना पड़ता है । इसी सब बातों को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश शासन द्वारा अपने आगामी बजट मे राष्ट्र धर्म समाज की रक्षा करते हुए पूजनीय गौ माता कि रक्षा और सुरक्षा के लिए 90 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है जो सराहनीय कार्य है। हमारे देश के सनातन धर्म में गाय को देवी माँ का दर्ज़ा दिया जाता है ऐसी मान्यता है की गाय मे 33 करोड़ देवी देवताओं का निवास है। इसलिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गाय की सेवा करनी चाहिए। गाय सेवा करने वाला व्यक्ति पुण्य का भागीदार बनता है। एक मात्र गऊ सेवा करने से ही मन, वाणी, कर्म और शरीर की पवित्रता संभव है। और तो और गऊ सेवा से व्यक्ति अपने सम्पूर्ण कुल की रक्षा कर सकता है, सम्पूर्ण सृष्टि की सुरक्षा केवल गौमाता की रक्षा से ही संभव है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने समय एवं सामर्थ्य के अनुसार गऊओ की सेवा करनी चाहिए। इससे जहां व्यक्ति एवं समाज निरोगी होगा वहीं मानसिक रूप से भी संतुष्ट भी बनेगा। गाय के पूरे शरीर को ही पवित्र माना गया है लेकिन गाय का मूत्र सर्वाधिक पवित्र माना जाता है। वैसे भी गौ माता अपने भारत देश की सांस्कृतिक और आर्थिक बुनियाद है। भारत में जितने भी अवतार हुए हैं उन सबने गऊ सेवा की है और अपने प्रिय ठाकुर जी के गाय प्रेम को भला कौन नहीं जानता। उन्होंने तो गौऒ की विशेष रूप से सेवा की है। ठाकुर जी तो गौ माता को कामधेनु की संज्ञा देते है। गौ रक्षा का वास्तविक अर्थ है समस्त सृष्टि की रक्षा करना। गौ माता पूरे विश्व की सेवा करती है। केवल जिंदा रहने तक ही नहीं बल्कि मरने के बाद भी वह हमारे काम में आती है। अगर निस्वार्थ भाव से सेवा का उदाहरण कहीं देखने को मिलता है तो उसका श्रेय सिर्फ गौ माता को ही जाता है। अगर एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डाला जाए तो उससे एक टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं। और तो और हम सबने सुन रखा है की हवन मैं आहुतिय देने से देव्ताओ को उनका भोग मिलता है, पैर कैसे कभी भोग मिलता है उनको भोग तब मिलता है जब हम लोग हवन मैं गौघृत को डाले तब सभी 9 ग्रहों को उनका भोग प्राप्त होता है अन्य किसी से नहीं भोग मिलता। गौघृत से आहुति देने से सूर्य की किरणों को ऊर्जा मिलती है। वातावरण शुद्ध होता है, यही ऊर्जा जब वरुण देव को मिलती है तो देश मैं वर्षा होती है। जब समय से वर्षा हो तो उससे ही अन्न, धान ,पेड़-पौधों आदि को जीवन प्राप्त होता है। जैसे हम सबने सुन रखा है की गौ माता के अंडर 33 करोड़ देवी देवताओं का निवास होता है । तो जब हम लोग उसके गोबर से भूमि का लेप करते है तो 33 करोड़ देवी देवताओ की उर्जा आ जाती है और वो पूजास्थल आध्यात्मिक उर्जा का सर्वोच्च स्थल बन जाता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो गो माता का हम सबके जीवन में बहुत महत्व है। गाय का दूध बहुत उपयोगी होता है। जिस किसी को अपने शरीर के अंदर उर्जा का स्थायित्व चाहिए वो गौ माता का दूध पीना प्रारंभ केर दे। हर व्यक्ति के घर में गौ माता का पालन हो । सब लोगों को गोसेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हो । जो परिवार या व्यक्ति गौ माता का पालन या सेवा नहीं कर सकते समया भाव के कारण वे नित्य प्रति गोमाता का दर्शन के साथ रक्षा एवं सुरक्षा भी करें।