क्या ₹50 के स्टांप पेपर पर जैन धर्म स्वीकार किया जा सकता है
इंदौर ! ( देवपुरी वंदना ) क्या जैन धर्म समाज कि कोई मर्यादा नहीं है क्या कोई भी जैन धर्म अपना सकता है अगर इतना सरल एवं सहज ही धर्म रह गया तो जो जैन कुल में पैदा हो गया तो समझो वह,,,,, इतनी आसान व सरल जैन धर्म मानने की प्रक्रिया रह जाती हे तो जो आज जैन धर्म का नाम व संस्कार संस्कृति चली आ रही है उसका कोई महत्व ही नहीं रह जाएगा धर्म समाज की सहजता व सरलता नहीं रखे वरना धर्म का मजाक बन जाएगा माना जैन धर्म कोई भी अपना सकता है हमारे श्रमण संस्कृति के परिचायक आज ही नहीं पूर्व में जी अजैन ही रहे थे मगर आज समय काल की मर्यादा के अनुसार इतना आसान नहीं होना चाहिए अगर समाज के शीर्ष व्यक्तित्व इस ओर ध्यान नहीं देगा तो आने वाले समय में हमें इसके गंभीर परिणाम भी भुगतना पढ़ सकते हैं फिर जब तक शायद बहुत देर हो जाएगी । जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण मध्य प्रदेश के भोपाल शहर स्थित राजीव नगर सेक्टर – बी मकान नंबर एच -19
के निवासी देवेश कुमार मिश्रा पिता मनोज मिश्रा आयु व्यस्क ने मात्र ₹50 के स्टांप पेपर पर जैन धर्म स्वीकार किया है!
साथ में कुंडलपुर सिद्ध क्षेत्र दमोह मध्य प्रदेश से 28/02/2022 को बेला स्थित परम पूज्य 108 समता सागर जी मुनिराज संघ की उपस्थिति एवं संत शिरोमणि परम पूज्य 108 विद्यासागर जी मुनिराज से जैन धर्म स्वीकार करना बताया। तथा इस कार्य को वैधानिक पूर्ती के लिए कोर्ट का ₹50 वाले शपथ – पत्र बताते हुए अपना जैन धर्म मै होने का घोषित करवाया।
इस कार्य में किसने व कौन-कौन से श्रावको ने प्रसन्नता एवं अनुमोदना की । यह कितना सही एवं कितना गलत है।