यह कैसी मजबूरी है..? कुर्ते पजामे पर शौले के वस्त्र पहनाकर एक अजैन से अर्घ समर्पित करवाना…
इन्दौर ! (देवपुरी वंदना) क्या अब जैन समाज में पूजा पद्धति की क्रिया और संस्कारों में भी इतनी छूट मिलने लगी है कि प्राचीन संस्कार,संस्कृति, परंपरा को ताक में रखकर श्रमण संघीय के सानिध्य व उपस्थिति मे कुछ भी हो सकता है .? जिसका प्रत्यक्ष…
Read More...
Read More...